हिंदू धर्म में सावन का महीना सबसे शुभ माना जाता है। सावन का महीना देवों के देव महादेव शिव शंभु को समर्पित है। यह महीना भगवान शिव को बेहद प्रिय है और इस महीने भगवान भोलेनाथ अपने भक्तों की हर मनोकामना पूरी करते हैं। ऐसे में शिव भक्तों को सावन का बेसब्री से इंतजार रहता है। सावन का महीना भगवान भोलेनाथ के प्रति भक्ति और समर्पण का महीना है। सावन महीने के हर दिन शिवलिंग पर पवित्र जल का अभिषेक करने का विशेष महत्व है। सावन के महीने में सभी मंदिरों में शंख, घंटियों के बजने और “बम-बम भोले” और “हर-हर शंभु” के जयकारे सुनने को मिलते हैं। बच्चे-बूढ़े हों या महिलाएं हर कोई शिव की भक्ति में डूबा रहता है, ऐसा लगता है मानो पूरा वातावरण ही शिवमय हो गया हो। सावन का महीना हो और कावड़ यात्रा का जिक्र न हो, ऐसा हो नहीं सकता। सावन के महीने में ही कावड़ यात्रा शुरू हो जाती है और भक्तों की भीड़ कावड़ लेकर निकलती है और शिवलिंग का जलाभिषेक करती है।
2023 में सावन कब से है?
इस बार का सावन बेहद ही खास रहने वाला है। इस बार सावन का महीना कुल 59 दिनों का होगा। सावन पर ऐसा महासंयोग लगभग 19 साल बाद पड़ रहा है। इस बार अधिकमास होने के कारण सावन पूरे 2 महीने का होगा, जिसमें कुल 8 सोमवार होंगे। इस साल सावन का महीना 4 जुलाई से शुरू हो रहा है और इसका समापन 31 अगस्त को होगा।
सावन सोमवार का महत्व
सावन माह में जो भी सोमवार आते हैं, उनको सावन सोमवार कहा जाता है। सावन सोमवार का दिन देवों के देव महादेव की उपासना करने के लिए सबसे उत्तम दिन है। भगवान शिव के लिए सोमवार और माता पार्वती का आशीर्वाद प्राप्त करने के लिए मंगलवार का व्रत/Mangala Gauri Vrat करना बहुत शुभ माना गया है। भगवान शिव की पूजा के लिए और वैवाहिक जीवन के लिए विशेष रूप से सोमवार का दिन श्रेष्ठ माना गया है। ऐसी मान्यता है की अगर किसी के विवाह में देरी/Delay in Marriage हो रही हो या किसी न किसी कारण अड़चने पैदा हो रहीं हो तो उसे सावन के सोमवार पर शिव पूजन करना चाहिए। सावन का महीना शिव जी को अतिप्रिय है, इसलिए किसी भी तरह की समस्या से छुटकारा पाने के लिए महादेव को प्रसन्न करने के लिए सावन के सोमवार व्रत भी किए जाते हैं। “सावन के सोमवार” और “सोलह सोमवार” अपने आप में ही बहुत प्रचलित हैं। इस व्रत को अधिकतर कुँवारी कन्याएं अपना मनचाहा वर पाने के लिए करती हैं वहीं सुहागिन महिलाएं अपने अखंड सुहाग के लिए मां गौरी और भगवान शिव शंकर की पूजा करती हैं। इस दिन विशेष रूप से भगवान शिव का रुद्राभिषेक किया जाता है। भगवान शिव के साथ-साथ माता पार्वती और शिव परिवार की पूजा भी अत्यंत महत्वपूर्ण मानी जाती है। सावन के सोमवार शिवलिंग पर बेलपत्र और जल धारा अर्पित करने से भगवान शिव अपने भक्तों की सभी मनोकामनाएं पूरी करते हैं। मान्यता है कि श्रावण के हर सोमवार पर शिवलिंग का रुद्राभिषेक और जलाभिषेक करने पर तमाम कष्ट दूर हो जाते हैं और जीवन खुशियों से भर जाता है। (शिवलिंग पर जल चढ़ाते वक्त भूलकर भी न करें ये गलतियां)
2023 में सावन 2 महीने का क्यों है?
वैदिक पंचांग/Panchang की गणना सौर मास और चंद्र मास के आधार पर की जाती है। चंद्र मास 354 दिनों का होता है और वहीं सौर मास 365 दिन का। दोनों में करीब 11 दिन का अंतर आता है और तीसरे साल यह अंतर 33 दिन का हो जाता है, जिसे अधिक मास कहा जाता है। ऐसे में इस बार सावन दो महीने तक रहने वाला है। इस बार सावन का पवित्र महीना 4 जुलाई 2023 से शुरू हो रहा है, जो कि 31 अगस्त 2023 को समाप्त होगा। यानी इस बार भक्तों को देवों के देव महादेव की उपासना के लिए कुल 59 दिन मिलने वाले हैं। माना जा रहा है कि ऐसा संयोग कई वर्षों बाद बन रहा है।
इस बार सावन 2023 में कितने सोमवार है?
सावन का पहला सोमवार: 10 जुलाई
सावन का दूसरा सोमवार: 17 जुलाई
सावन का तीसरा सोमवार: 24 जुलाई
सावन का चौथा सोमवार: 31 जुलाई
सावन का पांचवा सोमवार: 07 अगस्त
सावन का छठा सोमवार:14 अगस्त
सावन का सातवां सोमवार: 21 अगस्त
सावन का आठवां सोमवार: 28 अगस्त
सावन सोमवार पूजा विधि
सावन सोमवार के दिन सुबह स्नान आदि करके स्वच्छ वस्त्र धारण कर लें।
अपने दाहिने हाथ में जल लेकर सावन सोमवार व्रत का संकल्प लें।
ॐ नमः शिवाय मंत्र का जाप करते हुए भगवान शिव शंकर का जलाभिषेक करें।
भोलेनाथ को अक्षत, सफेद फूल, सफेद चंदन, भांग, धतूरा, गाय का दूध, धूप, पंचामृत, सुपारी, बेलपत्र चढ़ाएं।
सामग्री चढ़ाते समय ॐ नमः शिवाय शिवाय नमः का जाप करें और चंदन का तिलक लगाएं।
सावन के सोमवार के व्रत के दिन सोमवार के व्रत की कथा अवश्य पढ़नी चाहिए और अंत में आरती करनी चाहिए।
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