वट सावित्री व्रत भारत और नेपाल में विवाहित महिलाओं द्वारा मनाया जाने वाला एक हिंदू त्योहार है। त्योहार ज्येष्ठ माह के शुक्ल पक्ष पर मनाया जाता है, जो मई या जून में पड़ता है। यह त्योहार देवी सावित्री को समर्पित है, जिनके बारे में माना जाता है कि उन्होंने मृत्यु के देवता यमराज से अपने पति सत्यवान की जान बचाई थी।
2023 का वट सावित्री व्रत क्यों है विशेष?
यह शुक्रवार को मनाया जाता है, जिसे महिलाओं के लिए एक शुभ दिन माना जाता है और यह दिन मां संतोषी और लक्ष्मि का दिन माना गया है।
यह अमावस्या (नया चाँद) और शनि जयंती (भगवान शनि का जन्मदिन) के साथ मेल खा रहा है।
यह शुभ शोभन योग काल के दौरान भी मनाया जा रहा है।
ये सभी कारक 2023 वट सावित्री व्रत को विवाहित महिलाओं के लिए एक बहुत ही खास अवसर बनाते हैं। उनसे अपेक्षा की जाती है कि वे व्रत का पालन करें, देवी सावित्री से प्रार्थना करें और अपने पति की लंबी उम्र और समृद्धि के लिए उनका आशीर्वाद लें।
2023 में वट सावित्री व्रत कब है?
वट सावित्री व्रत ज्येष्ठ के माह के अमावस्या के दिन मनाया जाता है। 2023 में वट सावित्री व्रत 19 मई 2023, शुक्रवार के दिन मनाया जाएगा।
- वट सावित्री व्रत 2023 का शुभ मुहूर्त: सुबह 5:47 बजे से 7:19 बजे तक
- अमावस्या तिथि प्रारम्भ: 18 मई 2023 गुरुवार को रात 09:42 से
- अमावस्या तिथि समाप्त: 19 मई 2023 शुक्रवार को रात 09:22 तक
वट सावित्री व्रत का महत्व
वट सावित्री का यह त्योहार विवाहित महिलायों के द्वारा मनाया जाने वाला हिंदू त्योहार है। यह त्योहार सावित्री को समर्पित है, एक देवी जो अपने पति सत्यवान की भक्ति के लिए जानी जाती हैं। किंवदंती के अनुसार, सावित्री अपनी भक्ति और दृढ़ता से सत्यवान के प्राण यमराज से वापस लाने में सक्षम थी।
वट सावित्री व्रत/Vat Savitri Vrat विवाहित महिलाओं द्वारा तीन दिनों तक रखा जाता है। व्रत के दौरान महिलाएं अपने पति की लंबी आयु और सुख-समृद्धि की कामना करती हैं। वे बरगद के पेड़ की भी पूजा करते हैं, जिसे सावित्री के लिए पवित्र माना जाता है। व्रत के तीसरे दिन महिलाएं अपना व्रत तोड़ती हैं और सावित्री की पूजा अर्चना करती हैं।
वट सावित्री व्रत भारत में एक लोकप्रिय त्योहार है और सभी धर्मों की महिलाओं द्वारा मनाया जाता है। यह त्योहार विवाह में भक्ति और दृढ़ता के महत्व की याद दिलाता है। यह महिलाओं के लिए एक साथ आने और अपने पति के लिए अपने प्यार का जश्न मनाने का भी समय है।
वट सावित्री की कथा
वट सावित्री कथा के अनुसार अपने पति सत्यवान के लिए सावित्री की महान भक्ति के बारे में एक हिंदू कथा है। सावित्री एक राजा की बेटी थी और उसकी शादी एक लकड़हारे सत्यवान से हुई थी। सत्यवान को अपनी शादी के कुछ समय बाद ही मरने का श्राप मिल गया था, लेकिन सावित्री उसकी मृत्यु के दिन उसके पीछे जंगल चली गई। उसने मृत्यु के देवता यम का अनुसरण किया और अपने पति के जीवन को बचाने के लिए उससे विनती की। यम सावित्री की भक्ति से प्रभावित हुए और उन्हें तीन वरदान दिए। सावित्री ने सत्यवान को वापस जीवन में लाने के लिए अपने पहले वरदान का उपयोग किया। उसने अपने दूसरे वरदान का उपयोग सत्यवान के पिता और माता को उनकी युवावस्था में वापस लाने के लिए किया। उसने अपने तीसरे वरदान का उपयोग खुद के बच्चे पैदा करने के लिए किया। सावित्री और सत्यवान हमेशा खुशी-खुशी रहने लगे।
वट सावित्री व्रत की पूजा विधि
वट सावित्री व्रत एक हिंदू त्योहार/Hindu Festivals है जो विवाहित महिलाओं द्वारा अपने पति की लंबी उम्र और कल्याण के लिए प्रार्थना करने के लिए मनाया जाता है। यह हिंदू पंचांग के अनुसार ज्येष्ठ माह के अमावस्या तिथि के दिन मनाया जाता है।
- व्रत के दिन सुबह जल्दी उठकर स्नान कर स्वच्छ और नए वस्त्र धारण करें।
- इसके बाद अपने माथे पर सिंदूर (सिंदूर) लगाएं और गले में फूलों की माला बांधें।
- इसके बाद पूजा के लिए सभी आवश्यक सामान, जैसे फल, फूल, मिठाई, धूप और एक दीया (दीपक) इकट्ठा करें।
- उसके बाद पास के बरगद के पेड़ पर जाएँ, दीया जलाएं और बरगद के पेड़ की पूजा करें।
- साथ ही वट सावित्री व्रत की कथा पदें और बरगद के पेड़ की सात बार परिक्रमा करें।
- उसके बाद बरगद के पेड़ को फल, फूल, मिठाई और धूप अर्पित करे, बरगद के पेड़ के चारों ओर फूलों की माला बांधें।
- फिर अपने पति की लंबी उम्र और सलामती के लिए बरगद के पेड़ की पूजा करें और पूजा के बाद घर लौटकर अपना व्रत खोलें।
वट सावित्री व्रत के नियम
- व्रत की शुरुआत अमावस्या के एक दिन पहले करनी चाहिए।
- वट सावित्री के दिन सफेद और काले वस्त्र नही पहना चाहिऐ।
- साथ ही सफेद, काली और निली चुडिया नही पहने।
- व्रत में स्त्री को खट्टा या नमकीन भोजन नहीं करना चाहिए।
- उसे किसी भी शराब या तंबाकू का सेवन नहीं करना चाहिए।
- व्रत के दौरान इन्हें किसी से झगड़ा नहीं करना चाहिए।
- उसे सभी के प्रति दयालु होना चाहिए।
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