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साल का सबसे बड़ा त्यौहार और सूर्य ग्रहण का साया

दीपावली देश के सबसे बड़े त्यहारों में से एक गिना जाता है। इस दिन का मुख्यतः सम्बन्ध भगवान् श्री राम से है और इस दिन देवी लक्ष्मी की कृपा पाने के लिए अधिकतर लोग प्रयासरत दिखाई देते हैं। भगवान राम से इसका सम्बन्ध यानि सूर्य ग्रह से इसका सम्बन्ध होना। ज्योतिष में भगवान् राम, सूर्य को प्रदर्शित करते हैं। अब यह कैसा अवसर आया है कि ठीक दिवाली यानि भगवान् राम के ही दिन, सूर्य को ग्रहण लगेगा। ज्योतिष में जब राक्षस ग्रह कहे जाने वाले राहु और केतु, सूर्य को अपने प्रभाव में ले लेते हैं तो ग्रहण लगता है। दिवाली से ठीक अगले दिन, केतु व सूर्य की समीपता के कारण सूर्य ग्रहण/Surya Grahan का निर्माण होगा।

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बुध ग्रह इस बार कन्या राशि में अतिचारी

बुध ग्रह को ज्योतिष में अत्यंत महत्वपूर्ण ग्रह माना गया है और इसके गोचर का व्यक्ति के जीवन पर गहरा असर पड़ता है। बुद्ध ग्रह, बुध्दि का ग्रह है और यह व्यापार को भी दर्शाता है। यदि कुंडली में बुद्ध अच्छी स्थिति में हो तो व्यक्ति अपनी वाक्पटुता से किसी भी क्षेत्र में आसानी से सफलता प्राप्त करता है।

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तुला राशि में होगी इन चार ग्रहों की युति

ज्योतिष शास्त्र में ग्रहों की स्थिति व गोचर का आम जन-जीवन पर बहुत अधिक प्रभाव पड़ता है। एक ग्रह का गोचर जीवन को उथल-पुथल करने के लिए पर्याप्त है और यदि बात हो चार- चार ग्रहों की तो स्थिति बहुत अधिक महत्वपूर्ण हो जाती है। अक्टूबर का महीना ग्रहों के गोचर की दृष्टि से बहुत अधिक महत्वपूर्ण महीना है और यह महीना सामान्य लोगों के जीवन में बहुत बड़ा परिवर्तन लेकर आने वाला है। अक्टूबर में तुला राशि/Tula Rashi में चार-चार ग्रह एक साथ गोचर करने जा रहे हैं। ज्योतिष में इस स्थिति को “स्टैलियम” कहा जाता है। तीन या तीन से अधिक ग्रहों की स्थिति को स्टैलियम कहा जाता है और जिस भाव में यह स्थिति बनती है वह भाव व्यक्ति के जीवन में बहुत महत्वपूर्ण बन जाता है। तुला राशि में चार ग्रहों की युति/Tula Rashi me Stailiyam बनने से सभी राशियों के लोगों को कुछ-ना-कुछ अच्छा या बुरा प्रभाव मिलेगा। अक्टूबर का महीना एक बहुत बड़ा परिवर्तन लाने वाला महीना सिद्ध होगा।

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जानते हैं ज्योतिष क्या कहता है व्यक्ति के कर्मों के बारे में?

हम जीवन में अक्सर लोगों को कर्म की दुहाई देते हुए देखते हैं। यदि जीवन में कोई भी अनहोनी हो जाये तो उसका दोष हमारे कर्मों को दिया जाता है। यह साबित करता है कि कहीं न कहीं हम एक कर्म प्रधान समाज का हिस्सा है जहां कर्म को अत्यधिक महत्व दिया गया है। यह बात और है कि यहां अच्छे कर्मों पर चलने का भाषण तो हर कोई देता है पर कोई भी सद्कर्मों की राह पर चलने के लिए तैयार नहीं। खैर, हमारे धार्मिक ग्रंथों में भी कर्म व उनका हमारे जीवन में प्रभाव को भली–भाँती वर्णित किया गया है।  

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कुंडली से जाने कब होगा आपका भाग्योदय

भाग्य का साथ हर कोई पाना चाहता है, कुछ लोग कहते हैं कि कर्म से ही आप अपना भाग्य बना सकते हैं जो एक उचित बात है. लेकिन फिर भी कई बार हम देखते हैं की कुछ लोग जितनी मेहनत करते हैं उन्हें उसका उतना लाभ नहीं मिल पाता है. या जीवन संघर्षों को करते हुए ही गुजर जाता है. इन चीजों के मूल में भाग्य की अवधारणा बहुत गहरे स्तर पर काम करती है. यदि भाग्य मजबूत होगा तो अवश्य ही कम परिश्रम भी हमें अत्यधिक लाभ दिलाने में सक्षम होता है. इसलिए ऐसे में भाग्य और अपने जीवन में भाग्य उदय की स्थिति को समझना बेहद जरूरी कार्य बन जाता है. जीवन में अगर भाग्य साथ देता है तो दुख और संघर्ष से हमें निजात भी मिल जाती है. आप नाम, जन्म तिथि और समय की सहायता से हमारी साइट से निःशुल्क जन्म कुंडली बना सकते हैं।

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कथा के बिना क्यों पूर्ण नहीं होता रमा एकादशी का व्रत?

एकादशी, भगवान विष्णु जी को समर्पित दिन माना गया है। इस दिन विष्णु जी की पूजा की जाती है।  प्रत्येक माह की ग्यारहवी तिथि को एकादशी कहा जाता है। इस प्रकार एक मास में दो बार एकादशी आती है। साल में कुल 24 और यदि अधिक मास है तो यह संख्या 25 -26  तक भी जा सकती है। हर एकादशी का अपना एक विशेष नाम और महत्व है।

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27 अगस्त को पड़ने जा रही है भादों की अमावस्या जानें इसका महत्व

इस विषय में जानने से पहले जान लीजिए कि कुशोत्पाटिनी अमावस्या क्या है और इसका क्या महत्व है। सभी जानते हैं कि चंद्रमा 28 दिनों में पृथ्वी ग्रह का एक चक्कर पूरा करता है। पृथ्वी की परिक्रमा के दौरान जब चंद्रमा सूर्य और पृथ्वी के बीच में आ जाए तो पृथ्वी वाले हिस्से में अंधेरा रहता है जिसके कारण हमें चंद्रमा नहीं दिखाई पड़ता। इस घटना को हम अमावस्या/Amavasya 2022 कहते हैं। इस अमावस्या को कई नामों से भी जाना जाता है, जिसमें से सबसे विख्यात है कुशग्रहणी अमावस्या।

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23 अक्टूबर को शनि होंगे मार्गी

ज्योतिष शास्त्र में ग्रहों की बात करें तो शनि ग्रह का नाम सर्वप्रथम मस्तिष्क में आता है। अधिकतर ज्योतिषी शनि ग्रह के आधार पर ही जीवन की बड़ी-छोटी घटनाओं की भविष्यवाणी करने में समर्थ होते हैं। कारण ? इसका उत्तर शनि ग्रह का कार्मिक ग्रह होना है। शनि एक ऐसा ग्रह है जो व्यक्ति के अच्छे व बुरे कर्मों के हिसाब से उसे अच्छे या बुरे फल देता है। शनि की कुंडली में स्थिति व शनि का आकाशीय गोचर दोनों ही बहुत ही महत्वपूर्ण विषय हैं। अक्टूबर 23 को, अब तक वक्री अवस्था में गोचर कर रहे शनि ग्रह, मार्गी होने जा रहे हैं। यह दिन ज्योतिषीय दृष्टि से अत्यंत महत्वपूर्ण है जो लगभग सभी क जीवन में शुभ -अशुभ परिणाम ले कर आने वाला है। 

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बजरंगी जी बताएंगे वो राज … जो आपकी सास ने आपसे छिपाए आपके जीवनसाथी के बारे मे

भले ही आपकी सास ने शादी से पहले आपके पति से जुडे तमाम राज छिपा लिए हों लेकिन नक्षत्र/Nakshatra के अनुसार आप उनके व्यक्तित्व के हर लुके-छुपे रंग-ढंग को जान सकती हैं। आपको यकीन हो या न हो लेकिन ये पूर्णत: सत्य है कि इंसान जिस नक्षत्र में जन्म लेता है, उस पर उस नक्षत्र के स्वभाव का पूरा असर देखने को मिलता है। दरअसल, किसी बच्चे के जन्म के समय चंद्रमा जिस नक्षत्र व राशि में भ्रमण कर रहा है उस बच्चे का जन्म का वही नक्षत्र व राशि निर्धारित होती है. आजीवन इस नक्षत्र का प्रभाव उस बच्चे पर पड़ता है। कहते हैं कि ग्रह से बडा नक्षत्र और नक्षत्र से भी बडा नक्षत्र का पाया होता है। प्रत्येक नक्षत्र अपने-अपने स्वभाव के जातक को इस संसार मे भेजते हैं और नक्षत्र के पदानुसार ही जातक को जीवन में एक भूमिका अदा करने की जिम्मेदारी मिलती है। तो आइए जानते हैं कि विभिन्न नक्षत्रों में जन्म लेने वाले लोगों की क्या-क्या खासियत होती है :

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क्यों रक्षा बंधन के दिन भाई होते हुए भी शिखा के आंखों में आए आंसू

रीना काम से निबटी ही थी कि फ़ोन कि घंटी बज उठी। देखा तो उसकी ननद शिखा का फ़ोन था। रीना के चेहरे पर अजीब सी लकीरें खिंच गयी लेकिन बनावटी मीठे शब्दों से उसने बात करनी शुरू की। शिखा बहुत ही प्यार से बोली भाभी इस राखी/Rakhi पर मैं सुबह ही घर आ जाउंगी, भैया से मिले बहुत समय हो गया है। रीना मन ही मन झुंझलाने लगी लेकिन बहुत ही प्यार से बोली हाँ हाँ आप ही का घर है आप सुबह ही आ जाना। शिखा ख़ुशी ख़ुशी भैया को राखी बाँधने जाने की तैयारियों मैं लग गयी।

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कृष्ण जन्माष्टमी : कृष्ण जन्मोत्सव 2021 – Know all about Krishna Janmashtami

कृष्ण जन्माष्टमी पूजा मुहूर्त

तिथि :सोमवार, अगस्त 30, 2021

अष्टमी तिथि प्रारम्भ :अगस्त 29, 2021 को 11:25 PM

अष्टमी तिथि समाप्त : अगस्त 31, 2021 को 01:59 AM

मुरली मनोहर ब्रिज की धरोहर 

वो नन्द लाल गोपाला है 

बंसी की धुन पर दुःख हरनेवाला 

मेरा कान्हा बंसी वाला है सबका पालन हारा है

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मुहूर्त क्या होता है और क्यों पड़ती है इसकी आवश्यकता

मुहूर्त लगभग दो घड़ी अर्थात 48 मिनट का माना गया है। एक सामान्य रूप में अमृत मुहूर्त बेला और ब्रह्म मुहूर्त बहुत उत्तम फल देने वाले बताए गए हैं। मुहूर्त शास्त्र ज्योतिष का प्रमुख अंग है। मुहूर्त के लिए कहा भी गया है कि – “चतुर्भि: कारयेत्कर्म सिद्धिहेतोर्विचक्षण:। तिथिनक्षत्रकरणमुहूर्तेनेति निश्चय: ” अगर सफलता चाहते हो तो तिथि/Tithi, नक्षत्र/Nakshtra, करण/Karn और मुहूर्त/Subh Muhrat का विचार करके ही अपने कार्य को करना चाहिए।

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