शनि ग्रह को ज्योतिष में अधिकतर नकारात्मक दृष्टिकोण से देखा जाता है। शनि का गोचर हमेशा ही ज्योतिष प्रेमियों के लिए अत्यंत रोचकता का विषय रहा है और जब बात हो शनि के वक्री होने की तो परिणाम जानने की उत्सुकता और भी अधिक बढ़ जाती है। यह जानना अत्यंत आवश्यक है की शनि का वक्री होना एक साधारण ज्योतिषीय घटना है और प्रत्येक वर्ष शनि 140 दिनों के लिए वक्री होता ही है। इसलिए शनि के वक्री होने को नकारात्मक मानना एक नासमझी है। अगर देखा जाये तो प्रत्येक वर्ष के लगभग 38 – 40 % भाग में शनि वक्री/Shani Vakri ही रहता है। तो यह कहना कि साल का लगभग आधा भाग शनि बुरे ही परिणाम देगा, बिलकुल गलत है। शनि हमेशा ही बुरे परिणाम लाये यह ज़रूरी नहीं है और कभी-कभी बहुत से लोगों को शनि के गोचर/Saturn Transit के साथ, अपने जीवन में सफलता की ऊंचाइयों को छूते अक्सर देखा गया है।
क्या मतलब है शनि की उल्टी चाल का? सूर्य सिद्धांत के अनुसार शनि का सूर्य से कोणीय अंतर जब 115 से 245 डिग्री का होता है तो शनि वक्री हो जाता है। यदि कुंडली में शनि/Saturn in Kundli जब सूर्य से 3, 7 या 8 वें घर में हो तो वह वक्री अवस्था में ही होता है। कभी -कभी 5वें और 9वें घर में स्थित होने पर भी यह वक्री अवस्था में ही होता है। वक्री ग्रह पृथ्वी के अधिक समीप होता है और अपने अधिक प्रभाव देता है। वक्री ग्रह के चेष्टा बल बढ़ जाने पर वह अपने शुभ व अशुभ फल तीव्रता से देता है।
कब से शुरू हो रही है शनि की उल्टी चाल
भारतीय समय के अनुसार शनि 17 जून 2023 को शनि वक्री चाल में चलना शुरू करेंगे और 04 नवंबर 2023 तक यह वक्री अवस्था में ही रहेंगे अर्थात उल्टी चाल ही चलेंगे। शनि 17 जून को कुंभ राशि में ही वक्री होगा और फिर उल्टी चाल चलते चलते वह 04 नवंबर को वापिस से कुंभ राशि में मार्गी होंगे। शनि कुंभ राशि में शतभिषा नक्षत्र में रहेंगे अतः यह अपने शुभ-अशुभ फल अधिक तीव्रता से देगें। ज्योतिष अनुसार शतभिषा नक्षत्र राहु का नक्षत्र है। शनि का शतभिषा नक्षत्र में प्रवेश करने से राष्ट्रीय स्तर पर राजनीतिक संघर्ष, व्यक्तिगत आरोप प्रत्यारोप बढ़ सकते हैं। अंतरराष्ट्रीय स्तर पर भारत की छवि और महत्ता बढ़ेगी. कूटनीतिक रूप से भी भारत सफल रहेगा। इसके अलावा प्राकृतिक आपदा व दुर्घटना के योग रहेगा।
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शनि की वक्री चाल का इन राशियों पर असर
शनि, अनुशासन व परिश्रम को पसंद करता है और जो जातक अपने जीवन में इन गुणों को अपनाता है वह शनि के शुभ प्रभाव प्राप्त करता है। भचक्र की 12 राशियों के लिए शनि की उल्टी चाल का प्रभाव निम्न प्रकार रहेगा
मकर व कुम्भ राशि: मकर व कुम्भ राशि के लिए शनि का गोचर बुरे परिणाम ला सकता है और इन राशि के लोगो को शनि की गोचर अवधि के दौरान सतर्क रहने की आवशयकता है। यह अवधि आपके व्यवसाय, धन व स्वास्थ्य के लिए अशुभफलप्रद है।
मिथुन व तुला राशि: इन राशियों के लोगो के लिए समय शुभ है और वे साधारण से शुभ परिणामों की आशा कर सकते हैं।
कर्क, वृश्चिक व मीन राशि: इन राशि के लोगो के लिए समय शुभ नहीं है। आप अपने प्रत्येक कार्य को अत्यंत सावधानी से करें।
मेष, सिंह और धनु राशि: इन लोगो के लिए समय शुभ है।
वृषभ व कन्या राशि: इन लोगो के सभी बिगड़े काम बनेंगे और समय अत्यंत शुभफल प्रदायक है।
शनि कब देते हैं शुभ फल
शनि यदि कुंडली में चंद्रमा से तिसरे , छठे व ग्यारहवें भाव में गोचर करे तो व्यक्ति को अत्यंत शुभ फल प्राप्त होता है, और साथ ही यदि जन्म कुंडली/Janam Kundli में भी शनि की स्थिति अच्छी हो तो व्यक्ति के जिवन में भाग्योदय का समय आ जाता है। उसके सभी काम बनते नजर आते है और वह सफलता की ऊंचाइयों तक पहुँचता है। यदि किसी व्यक्ति के कुंडली में शनि गोचर शुभ हो और कुंडली में शुभ हो और ऐसे ही समय पर उसकी शनि की दशा चल रही हो या, किसी ग्रह की दशा चल रही हो जि शनि के नक्षत्र/Nakshatra में हो तो व्यक्ति के जिवन की काया पलट जाता हि और वह राजा के सामान जिवन व्यतीत करता है। शनि के शुभ फल प्राप्त करने के लिए बहुत आवश्यक है की सम शनि के अनुसार अपने आचरण में सुधार करें। शनि अनुशासन, परिश्रम, कर्त्व्यनिष्ठता, न्याय, जिवन में सही साचरण व सन्मार्ग पर चलने पर बल देता है। यदि व्यक्ति अपने जिवन में इस गुणों को आत्मसात कर लेता है तो वह शनि देव के शुभ फल प्राप्त कर जीवन में अत्यंत सफल होता है।
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