जानिये क्यों है इतना खास कार्तिक मास जिसके हर दिन में होता है ईश्वर का वास

  • 2023-04-07
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मासानां कार्तिक: श्रेष्ठो देवानां मधुसूदन।

तीर्थं नारायणाख्यं हि त्रितयं दुर्लभं कलौ।।

स्कंद पुराण में वर्णित इन पंक्तियों द्वारा कार्तिक मास/Kartik Maas की महत्ता को समझ पाना अत्यंत ही सरल हो जाता है, जिसमें कार्तिक मास को श्री विष्णु भगवान व विष्णु तीर्थ के समान ही श्रेष्ठ, दुर्लभ मास कहा गया है।

हिंदू धर्म संस्कृति में प्रत्येक माह का किसी न किसी रूप में महत्व रहता है। हर माह की अपनी विशेषता एवं गुण हैं, जो मानव जीवन पर विशेष प्रभाव दिखाने वाले होते हैं। इसी संदर्भ में एक माह है कार्तिक माह। इस माह का बहुत महत्व है, क्योंकि इस माह का प्रत्येक दिन ही अपने रूप में आध्यात्मिक एवं धार्मिक दृष्टि से प्रभावशाली माना गया है। कार्तिक माह की स्थिति को सौर मास, चन्द्र मास, एकादशी/ekadashi मास इत्यादि से देखा जाता है। प्रत्येक स्थानों पर इसकी गणना संप्रदाय एवं मान्यताओं विशेष के अनुरूप होती है। इसलिए इस मास का आरंभ प्रत्येक स्थान पर अलग-अलग समय पर हो सकता है, लेकिन हर समय या हर वर्ष इसी महत्वता एक समान रहती है।

कार्तिक मास पौराणिक महत्व 

न कार्तिक समो मासो न कृतेन समं युगम्।

न वेद सदृशं शास्त्रं न तीर्थं गंगा समम्।।

कार्तिक मास/Kartik maas के विषय में कई पुराणों में एवं कई अन्य धार्मिक ग्रंथों में वर्णन प्राप्त होता है। इस मास को दक्षिण भारत के लोग भगवान कार्तिकेय से जोड़ते हैं तो कुछ स्थानों पर श्री विष्णु भगवान से जोड़ते हैं। इस मास का स्वरूप कल्पवास की भांति ही प्रभावी होता है और इस संपूर्ण मास में धार्मिक गतिविधियां होती ही रहती हैं। प्रत्येक दिन मंत्र, जप, कथा, कीर्तन, दान, स्नान इत्यादि क्रियाकलापों को किया जाता है।

कार्तिक मास स्नान 

 कार्तिक मास के दौरान कुछ कार्यों को नियमित रूप से किया जाता है तथा इन कार्यों के द्वारा मानसिक, आत्मिक, दैहिक शुद्धि की प्रक्रिया को बल प्राप्त होता है। कार्तिक मास में स्नान करने का नियम ब्रह्म मुहूर्त समय होता है। दोपहर एवं संध्या समय के स्नान के महत्व को विशेष रूप से बताया गया है। इसके साथ ही स्नान करने की प्रक्रिया को भी पुराणों से पढ़ा जा सकता है, जो इस स्नान को और भी अधिक महत्वपूर्ण फलों को देने में सहायक बना देता है। 

कार्तिक मास दीपदान/Deepdan in Kartik maas

कार्तिक मास के समय पर दीपदान का भी बहुत महत्व होता है। ब्रह्म मुहूर्त/Brahma Muhurta के समय पर तारों की छांव में दीपदान करने से उत्तम फल प्राप्त हो सकता है। इसी के साथ सूर्य के समक्ष दीपदान करना एवं संध्या समय पर दीपदान की परंपरा प्राचीन काल से चली आ रही है। कार्तिक मास में गंगा एवं अन्य तीर्थ स्थलों पर किया गया दीपदान अक्षय फल प्रदान करने वाला होता है। इस माह में दीपदान करने से ज्ञान ऊर्जा एवं चेतना का विकास होता है। जीवन में मौजूद नकारात्मकता का प्रभाव क्षीण होता है। इस दिन प्रत्येक दिन दीपदान करने की परंपरा रही हैं यदि किसी कारणवश नियमित दीपदान नहीं हो पाता है तो कार्तिक पूर्णिमा के दिन संपूर्ण माह के दिन की गिनती के अनुरूप दीपक प्रज्वलित किए जाते हैं अथवा उतनी ही बत्तियां बना कर जलाई जाती हैं।

कार्तिक मास में तुलसी पूजा/Tulsi pooja in Kartik maas

कार्तिक मास के समय पर तुलसी पूजा भी एक विशेष नियम होता है। इस मास के प्रत्येक दिन तुलसी पूजा और तुलसी के समक्ष दीपक जलाया जाता है। इस मास में की जाने वाली तुलसी पूजा द्वारा दांपत्य जीवन में खुशहाली आती है। इसी के साथ किसी भी प्रकार का दोष समाप्त होता है। इस माह के समय पर तुलसी विवाह भी किया जाता है। 

कार्तिक मास में व्रत एवं दान कार्य 

कार्तिक मास के समय व्रत/Vrat एवं उपवास/Fasting का विधान भी रहा है। इस पूरे माह व्रत करने का भी नियम बताया गया है इसलिए कुछ लोग कार्तिक मास में व्रत करते हैं। संपूर्ण माह में एक समय भोजन का संकल्प करते हैं और इसी के साथ दान कार्य भी किया जाता है। नियमित रूप से कुछ न कुछ दान करना उत्तम माना गया है। यह दान किसी भी रूप में विशेषकर अन्न दान, धन, वस्त्र इत्यादि एवं सामर्थ्य अनुसार दान कार्य करना उत्तम होता है।  

कार्तिक माह में किए जाने वाले कुछ अन्य कार्य

कार्तिक मास में स्नान, दान, दीप दान, तुलसी पूजा, विष्णु पूजा, मौन व्रत के अतिरिक्त कुछ नियमों का पालन किया जाता है। इस समय पर ब्रह्मचर्य का पालन करना, भूमी शयन, इंद्रियों पर नियंत्रण करने पर बल दिया जाता है। सूर्य आराधना करना, हवन, यज्ञ, पूजा व धार्मिक ग्रंथों का पठन एवं श्रवण करना उत्तम होता है। इस माह पर गरिष्ठ भोजन, तामसिक भोजन, प्याज, लहसुन, मांस-मदिरा, द्विज अनाज, दाल आदि का त्याग किया जाता है। कार्तिक मास के समय कई नियमों का पालन होता है, यह नियम किसी न किसी रूप में आध्यात्मिक उन्नती, सकारात्मकता एवं प्रकृति के साथ तालमेल बनाए रखने में सहायक बनते हैं। इस मास में किए जाने वाले पूजा और अनुष्ठान अपने शुभ फलों को प्रदान करता है। 

कार्तिक मास महात्म्य 

कार्तिक मास को शुभ कर्मों में वृद्धि करने वाला माह कहा गया है। इस माह के समय पर किए जाने वाले धार्मिक कृत्यों को अमोघ फलदायी माना गया है। यह समय सांस्कृतिक एवं सामाजिक सभी रूपों से कल्याणकारी समय होता है। कार्तिक मास के किसी भी दिन किया गया दान पुण्य अक्षय होता है। इस मास के प्रभाव द्वारा आत्मिक शुद्धि एवं ऊर्जा की प्राप्ति होती है। यह समय प्रकृति में होने वाले बदलावों के प्रति भी हमें मजबूती प्रदान करता है, इस कारण से कार्तिक मास की महत्ता धार्मिक, वैज्ञानिक एवं आध्यात्मिक सभी दृष्टियों से महत्वपूर्ण मानी गई है।

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